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Jaise ko Taisa – जैसे को तैसा
कुछ समय पहले की एक बात है, मथुरा गांव में राजकुमार नाम का एक बनिया रहता था। उसका काम उस समय पर कुछ अच्छा नहीं चल रहा था, इसलिए उसने अपने मथुरा गांव से धन कमाने के लिए विदेश जाने का फैसला ले लिया। उसके पास ज्यादा पैसे भी थे और ना ही कोई कीमती वस्तु थी। सिर्फ और सिर्फ उसके पास एक लोहे का तराजू ही था। उसने वो ही अपना तराजू साहूकार को धरोहर के रूप में दे दिया और उस तराजू के बदले में कुछ रुपये साहूकार से ले लिए। राजकुमार ने साहूकार से कहा कि वह विदेश से लौटकर आएगा तब अपना उधार चुका कर अपना तराजू वापस ले लूँगा।
जब राजकुमार दो साल बाद विदेश से लौटा कर आया तो उसने साहूकार से अपना तराजू वापस मांगा। तब साहूकार राजकुमार से बोला कि तुम्हारा तराजू तो चूहों ने खा लिया है। राजकुमार इतने में ही समझ गया कि इस साहूकार की नियत खराब हो चुकी है और अब ये मेरा तराजू वापस करना नहीं चाहता है। तभी राजकुमार के दिमाग में एक नई चाल सूझी। उसने साहूकार से कहा चलो तो कोई बात नहीं अगर मेरा तराजू चूहों ने खा लिया है, तो इसमें तुम्हारी कोई भी गलती नहीं है। सारी गलती तो उन चूहों की ही बनती है।
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फिर थोड़ी देर के बाद राजकुमार ने साहूकार से कहा कि मैं अब नदी में नहाने के लिए जा रहा हूं। तुम अपने बेटे बंकू को भी मेरे साथ भेज दो। तो वो भी मेरे साथ नहा आएगा और हम लोग थोड़ी बातें भी कर लगे। साहूकार,राजकुमार के व्यवहार से बहुत खुश था,क्योकि की उसने तराजू के बारे में ज्याद कुछ नहीं बोला इसलिए उसने राजकुमार को एक बहुत ही सज्जन पुरुष समझकर उसने अपने बेटे को राजकुमार के साथ नहाने के लिए नदी पर भेज दिया।
अब राजकुमार ने अपनी बुद्धि को लगया और उस साहूकार के बेटे को नदी से बहुत दूर ले जाकर एक गुफा में उसको बंद कर दिया। और उसने उस गुफा के दरवाजे पर एक बहुत बड़ा-सा पत्थर भी रख दिया, जिससे की साहूकार का बेटा बंकू वह से बचकर भाग भी ना पाए। साहूकार के बेटे को गुफा में बंद करके बाद में राजकुमार वापस से साहूकार के घर पर वापस आ गया। जब राजकुमार को अकेला देखा तो साहूकार ने पूछा कि मेरा बेटा बंकू कहां हैं। राजकुमार बोला कि माफ करना दोस्त तुम्हारे बेटे को तो कबूतर उठाकर ले गया है।
जब ये बात साहूकार ने सुनी तो वो हैरान रह गया और बोला कि ये कैसे हो सकता है? कबूतर इतने बड़े बच्चे को कैसे उठा ले जा सकता है? राजकुमार बोला जैसे चूहे मेरे उस लोहे के तराजू को खा सकते हैं, वैसे ही कबूतर भी तो बच्चे को उठाकर ले जा सकता है। अगर आपको अपना बच्चा बंकू चाहिए, तो मुझे मेरा तराजू लौटा दो।
जैसे ही अपने ऊपर मुसीबत आई तैसे ही साहूकार को अक्ल आई। उसने राजकुमार का तराजू वापस कर दिया और उसके बाद ही राजकुमार ने भी साहूकार के बेटे को उस गुफा से भी आजाद कर दिया।
इस कहानी से मिली शिक्षा – जैसे को तैसा, जो जैसा व्यवहार करे, उसके साथ वैसा ही व्यवहार करो,ताकि उसे अपनी गलती का अहसास हो जाए।
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