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Kotdwar Sidhbali Mandir – यहाँ पूरी होती है सभी मुरादें

kotdwar sidhbali mandir

Kotdwar sidhbali mandir  श्री सिद्धबली मंदिर कोटद्वार मे उत्तराखंड की खोह नदी के तट पर पौड़ी गढ़वाल के कोटद्वार में स्थित है। हनुमान जी महाराज का ये सबसे प्रसिद्ध मंदिर ये मंदिर कोटद्वार मे बजरंगबली जी का  सिद्धपीठ प्राचीन मंदिर है। श्री सिद्धबली धाम मंदिर की आस्था अपने देश मे ही नहीं, विदेशों तक है। यह पर भगवान हनुमान जी की विशाल मूर्ति है जो की एक चट्टान पर सुशौभित हैं।

इस मंदिर के अंदर दो प्राकृतिक रूप की पिंडीया स्थित हैं जो की लोगो का मानना है की जिसमे से एक पिंडी हनुमान जी महाराज की है और दूसरी पिंडी गुरु गोरखनाथ जी की रूप मे नेतृत्व करती हैं। सिद्धबली मंदिर जो की उत्तराखंड मे है। इस मंदिर के बरामदे का नजारा देखने मे बहुत ही आकर्षित करता हैं। यहाँ से एक छोटी सी नदी को देखना और वह की घुमावदार रास्ते भक्तो की उमड़ती हुई भीड़ को देखना और लैंसडाउन हिल स्टेशन की ओर यात्रा कर रहे लोगो को देखना बहुत ही अच्छा लगता हैं।Kotdwar Sidhbali Mandir – यहाँ पूरी होती है सभी मुरादें।

सिद्धबली मंदिर (kotdwar sidhbal  मंदिर) उत्तराखंड  मे एक हिन्दू धर्म से सम्बंधित मंदिर है। सिद्धबली हनुमान जी महाराज के दर्शन करने के लिए भक्त को मंदिर की 150 से अधिक सीढ़ियों का सफ़र तय करने के बाद मंदिर में पहुंचते हैं। श्री बजरंग बली महाराज जी के इस पौराणिक मंदिर का जिक्र स्कंद पुराण में भी  किया गया है।

लोगो का मानना हैं कि सिद्धबली मंदिर के द्वार से कभी कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता हैं। श्रद्धालु मंदिर में मत्था टेककर मनोकामना मांगते है

हनुमान जी अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते है और मुराद पूरी होने के बाद श्रद्धालु मंदिर में भंडारा कर के भोग लगाते हैं।

Kotdwar Sidhbali Mandir kotdwar

यदि आपकी भी कोई इक्षा अधूरी हैं तो एक बार सिद्धबली मंदिर की यात्रा जरूर करे।

1- Kotdwar Sidhbali mandir Uttarakhand  इतिहास

kotdwar sidhbali mandir के इतिहास के बारे में जानने के बाद पता चलता हैं कि इस स्थान पर एक सिद्ध पुरुष ने बैठ के तपस्या की थी। तभी तपस्या करने के बाद उस पुरुष को हनुमान जी की सिद्धि प्राप्त हुई थी। तभी उस सिद्ध पुरुष ने हनुमान जी महाराज की एक विशाल मूर्ती की स्थापना की थी और तभी से इसलिए इस स्थान का नाम सिद्धबली पड़ गया था। इसके बाद समय की बात है एक ब्रिटिश शासन के दौरान एक मुस्लिम अधिकारी था वो अपने घोड़े से यात्रा करता हुआ जब सिद्धबली के पास से गुजरा रहा था तो वह अचानक घोड़े से गिरकर बेहोश हो गया। लेकिन जब उस मुस्लिम अधिकारी को होश आया तो उसने बताया कि सिद्धबली की समाधी पर हनुमान जी महाराज का एक मंदिर बनाया जाए और उसने गांव वालो को भी अपने सपने के बारे में बताया।

2- Kotdwar Sidhbali Mandir का भंडारा

kotdwar बाबा के मंदिर में भंडारा की परम्परा बहुत पहले से ही चली आ रही हैं।जिन भक्तो की मुरादे पूरी हो जाती है तो वो यहाँ पर भंडारा कर के हनुमान जी महाराज को भोग लगते है और सभी को खाना खिलाते हैं। सिद्धबली बाबा के धाम में मंगलवार और रविवार के दिन भंडारे का आयोजन किया जाता हैं। अगर आप भी बाबा के मंदिर मे भोग लगाने की सोच रहए है तो आपको जानकारी के लिए बाते दें कि सिद्धबली बाबा के मंदिर में 2025 तक के लिए ( kotdwar sidhbali Bhandara Booking) बुकिंग हो चुकी हैं।

3 -कोटद्वार सिद्धबली मंदिर खुलने और बंद होने का समय और आरती का समय

सिद्धबली बाबा का मंदिर भक्तो के दर्शन और पूजा अर्चना करने के लिए प्रातः 5 बजे से दोपहर के 2 बजे तक खुला रहता हैं। 2 बजे के बाद    एक घंटे के अन्तराल मे मंदिर के 3 बजे फिर खोल दिया जाता है। जो की शाम के 8 बजे तक भक्तो के लिए खुला रहता हैं।

कोटद्वार सिद्धबली बाबा की मंदिर में सुबह की आरती प्रातः 5 बजे और शाम की आरती 6:30 बजे से शुरू होती हैं।

4- कोटद्वार सिद्धबली धाम घूमने जाने का सबसे अच्छा समय

श्री सिद्धबली मंदिर कोटद्वार की यात्रा के लिए आप किसी समय भी जा सकते हैं क्योंकि सिद्धबली बाबा का धाम भक्तो के लिए हमेशा खुला रहता हैं। कोटद्वार सिद्धबली मंदिर मंगलवार और रविवार को यहाँ पर विशेष भंडारे का आयोजन किया जाता हैं। यदि आप चाहे तो मंगलवार के दिन का चुनाव कर सकते हैं जोकि बजरंबली के भक्तो के लिए खास दिन होता है।

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