Hindi Ki News
हेल्थ

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का आयुर्वेदिक इलाज-जिसे बच्चा हो जाता है अपंग

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक ऐसी बीमारी है जिसमें बच्चा अपंग हो जाता है। यह एक अनुवांशिक (जेनेटिकल) बीमारी है, आइये जानते है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का आयुर्वेदिक इलाज क्या है, और इस बीमारी की वजह से क्या-क्या परेशानियाँ उठानी पड़ती है। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जो खासतौर से बच्चों में होती है। इस बीमारी की वजह से किशोर होते-होते बच्चा पूर्ण रूप से विकलांग (अपंग) हो जाता है। ऐसी स्थिति में बच्चा न तो चल सकता है, और न ही बैठ उठ सकता है। यह शरीर में विकृति मांसपेशियों की कोशिकाओं और ऊत्तकों के मृत होने की वजह का परिणाम होता है, जिससे शरीर की  मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। जिससे बच्चे के लिए सामान्य रूप से चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में बच्चे उठने-बैठने के लिए अपने हाथों का सहारा लेते हैं। दस से बारह साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते बच्चा पूरी तरह से विकलांग (अपंग) हो जाता है। इस बीमारी से मसल्स बेकार होते चले जाते हैं,और शरीर में मौजूद रीढ़ की हड्डी झुकने लगती है। ये बीमारी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के नाम से जानी जाता है। जिसमें ड्यूशेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (DMD ) कॉमन बीमारी है ये एक खतरनाक रोग भी है।

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी में शरीर में मौजूद मसल्स में बनाने वाले प्रोटीन में जीन में खराबी आने से हो जाती है। ज्यादातर मामलों मे इसका पता बचपन में ही चल जाता है, और मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का आयुर्वेदिक इलाज सही समय पर शुरू कर दिया जाए तो कुछ हद तक इसे कंट्रोल किया जा सकता है,और बच्चा नॉर्मल लाइफ भी जी सकता है।

लेकिन हां अगर इसका असर बहुत ज्यादा बढ़ा जाता है,तो उस समय बच्चे के हाथ, पैर और पूरा शरीर एक लौथड़े की तरह हो जाते है। पूरा शरीर काम करना बंद कर देता है। उस समय इसका इलाज करना बहुत ही मुश्किल होता है।

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का भी तक कोई संतोषजनक इलाज नहीं मिल पाया है। वैज्ञानिक इस बीमारी के लिए जिम्मेदार डिफेक्टिव जीन्स की खोज में लगे हुए है, हालांकि शुरुआती दौर में इस रोग की पहचान हो जाने पर रोगी को इसके इलाज में काफी हद तक ठीक किया जा सकता है।

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी को नियंत्रण करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें

1- Giloy Ghanvati और chandraprabha vati की गोलियां भी लाभ पहुंचाती है।

2- Giloy की पत्ती का काढ़ा ले या फिर गिलोय की गोली का ले।

3-  Ashwagandha और शिलाजित भी नर्वस सिस्टम को अच्छा बनती है।

4- अश्वगंधा, शतावर और Swet musli का पाउडर मिलाकर एक -एक चमच्च सुबह – शाम ले।

5- मेधावटी और बादाम रोगन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी में लाभ पहुंचाता है।

6- मस्कुलर डिस्ट्रॉफी को कंट्रोल करने के लिए Giloy का इस्तेमाल करें।

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी होने के लक्षण

ये बीमारी ज्यादातर बच्चों में 2 से 5 वर्ष की आयु में ही पैरों में कमजोरी शुरू कर देता है।

थोड़ी दूर तक दौड़ते समय में गिर जाना।

पैरों की मांसपेशियों का फूल जाना भी।

जल्दी थकान होना।

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का आयुर्वेदिक काढ़ा

आयुर्वेदिक काढ़ा बनाने की सामग्री

  • अश्वगंधा
  • शतावर
  • गिलोय
  • ऋद्धि
  • वृद्धि
  • काकोली
  • कोंच के बीज
  • सफेद मुसली
  • बला के बीज
  • जीवक
  • वराही
  • ऋषभक
  • मदामेदा
  • क्षीर कांकोली

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लिए ऐसे बनाएं आयुर्वेदिक काढ़ा

सबसे पहले सभी चीजों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर अच्छी तरह से कूट-पीस लें। इसके बाद एक बर्तन में 1 लीटर पानी गर्म करे और उसमें यह कूटी हुई सभी जड़ी-बूटियां डाल दें। उसके बाद इसे इसमें धीमी आंच पर उबलने दें। जब पानी 1 लिटर से आधा लीटर हो जाए तो गैस बंद कर दें, फिर इस काढ़े वाले पानी का सेवन करे।

Related posts

कद्दू खाने के फायदे और नुक्सान -Benefits of Pumpkin in hindi

Yogita

इस वीकेंड नोएडा की जगहों पर घूमने के साथ-साथ उठाएं स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ 

Yogita

Health Tips – खट्टी-मीठी इमली मे भी छुपे है स्वस्थ रहने के कई सारे राज

Yogita
error: Content is protected !!