हिंदी के न्यूज़ के पेज पर आपको प्रेरणादायक हिंदी की कहानियों का भरपुर मात्रा में संग्रह मिलने वाला है। इन सभी कहानियों को पढ़ कर आप में एक प्रकार का जोश भर जायेगा और आपको जीवन में आगे बढ़ने की सीख भी मिलती है। ऐसा माना जाता है,कि ये कहानियाँ काल्पनिक होती हैं। आज हम एक और नई कहानी को पढ़ने वाले है। चींटी और सांप की कहानी
कुछ समय पहले की बात है,एक घने जंगल में एक सांप रहता था। सांप जंगल में अपनी भूख को मिटने के लिए वो छोटे-मोटे जानवरों जैसेकी चूहा,मेंढ,छिपकली,गिलहरी और तो और पक्षियों के अंडों को तक खा लेता था जिसे वो बहुत बड़ा और मोटा हो गया था। सांप के इसने विशाल शरीर को देखा कर उसके पास जंगल के बड़े-बड़े जानवर भी आने से डरते थे। जंगल में जो छोटे-छोटे जानवर थे। उन्होंने सांप की शिकायत हाथी और शेर से भी परन्तु की शेर और हाथी भी उस सांप का कुछ भी नहीं बिगड़ सकते थे। क्योंकि जब भी हाथी और शेर सांप को समझाने के लिए जाते तो सांप अपना विशाल फन लेकर उनके सामने भी खड़ा हो जाता था। उनको भी ये डर रहता की सांप कहीं हम दोनों की भी ना काट ले,इसी डर की वजह से जंगल का कोई भी जानवर उसके नजदीक तक नहीं जाना चाहता था।
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ऐसे ही कुछ समय तक चलता रहा और सांप को भी यह घमंड हो गया कि अब जंगल का कोई भी जीव जंतु मेरा सामना नहीं कर सकता है। एक दिन सांप ने सोचा कि जब इस जंगल का राजा शेर ही मुझसे इतना डरता है,तो क्यों ना मैं भी एक राजा की तरह किसी बड़े से घर के अंदर रहूं। यह बात को सोच कर सांप भी एक घने से बरगद के पेड़ पर एक बिल में रहने लगा।
घने से बरगद के पेड़ पर सांप के आने से डर की वजह से और जो जीव-जंतु और पक्षी पहले से रहते थे वो सब अब उस पेड़ को छोड़कर चले गए। उस बरगद के पेड़ के पास में ही चीटियों ने अपनी बांबी को भी बना रखा था। सांप जब भी कहीं पेड़ से नीचे जाता तो उसे सबसे पहले रास्ते में चींटियाँ ही मिल जाती थी। चींटिया हर समय पर अपने काम में ही व्यस्त रहती थीं और वो सांप से कोई मतलब ही नहीं रखती थी और न ही वो उसको नमस्कार करती थी। चीटियों का यह व्यवहार सांप को बिलकुल भी पसंद नहीं आया। एक दिन साँप चीटियों की रानी से बोला, तुम अपनी पूरी सेना को ठीक से समझा देना कि मैं जब भी यहां से निकलू तो सब चीटियां मुझे सर झुका कर नमस्कार किया करें अगर वो ऐसा नहीं करेगी तो मैं सभी को मार दूंगा।
सांप की ये बात चीटियों की रानी को बिल्कुल भी पसंद नहीं आई तो चींटी ने सांप की बात मानने से साफ-साफ इन्कार कर दिया। जब चींटी ने मना किया तो सांप को बहुत गुस्सा आया और तो सांप ने अपनी पूंछ से चीटियों की बांबी को तोड़ दिया जिससे चीटियों के घर को काफी नुकसान हुआ।
जब सांप ने चीटियों के साथ इस तरह का व्यवहार किया तो सभी चीटियां बहुत अधिक क्रोधित हो गई और उन्होंने एक साथ मिलकर सांप पर हमला कर दिया। चीटियों के काटने से सांप की बहुत बुरी हालत हो गई थी और सांप अपने आपको असहाय सा महसूस करने लगा। और आखिरकार चीटियों के इस हमले से सांप की मौत भी हो गई और जंगल के जानवरों को उस खतरनाक सांप से मुक्ति भी मिल गई।
शिक्षा – इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि कभी भी किसी भी जीव को या मनुष्ये को छोटा समझ कर उस पर अत्याचार नहीं करना चाहिए। एकता में बहुत बड़ी शक्ति होती है।
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