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विसर्ग संधि किसे कहते हैं-विसर्ग संधि की परिभाषा (Visarg sandhi)

विसर्ग संधि किसे कहते हैं-विसर्ग संधि की परिभाषा (Visarg sandhi)

मेरे प्यारे प्रिय पाठक और मेरे प्यारे दोस्तों और आप सब लोग कैसे है। आज एक बार फिर से Hindi ki news के पेज पर आप सभी का स्वागत है। आज हम एक नया आर्टिकल आप सभी लोगो के लिए लेकर आये है। जिसका आर्टिकल का नाम है। विसर्ग संधि किसे कहते हैं-विसर्ग संधि की परिभाषा (Visarg sandhi) आइये आज इस आर्टिकल को लिखने की शुरुवात करते है।

तो चलिए अब हम इसके बारे में पूरी जानकरी को विस्तार से समझते है। विसर्ग संधि किसे कहते हैं-विसर्ग संधि की परिभाषा (Visarg sandhi) क्या है।

विसर्ग संधि किसे कहते हैं ?

जब भी हम किसी भी वर्ण या फिर अक्षर का उच्चारण करते हैं, तो उनकी कुछ अलग अलग ही प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है। इसी प्रकार से जब हम विसर्ग शब्द का उच्चारण करते हैं, तो इनकी भी उच्चारण की ध्वनि ह् के रूप में आती है। इसका प्रयोग हमको अक्सर संस्कृत में ज्यादा से ज्यादा देखने को मिलता है। इसका जो चिन्ह है वो (:) कुछ इस प्रकार से होता है। संस्कृत भाषा में बहुवचन शब्दों का प्रयोग करने के लिए लिंग का ही प्रयोग होता हैं। जैसेकी -: अतः, प्रातः, छात्रः, धावकः ,बालकः रजः इत्यादि।

इसके अलावा जब भी विभक्तियों का हम बोध करते है तो विसर्ग का प्रयोग भी होता है। विभक्तियों में विसर्ग संधि का प्रयोग सूत्रानुसार प्रत्येक लिंग में किया जाता है। विभक्ति तथा वचनो के अनुसार ही शब्दों में विसर्ग संधि का प्रयोग नियमो के अनुसार ही किया जाता है।

जैसे की -: अगर वाक्य है तो – “राजा एक बालक है।” तो इसका संस्कृत में अनुवाद होगा की – राजा: एकः बालकः अस्ति। ऋता एक बालिका है। तो इसका संस्कृत में अनुवाद इस प्रकार से है – ऋता एका: बालिका अस्ति।

उपर्युक्त किये हुए दोनो वाक्यों में भेद है। क्योंकि तीनों क्रमशः में पुल्लिंग,स्त्रीलिंग और नपुंसकलिंग हैं। पुल्लिंग में विसर्ग संधि का प्रयोग है,और शेष में विसर्ग संधि का प्रयोग नही किया है। स्त्रीलिंग तथा नपुंसकलिंग शब्दों में भी विभक्तियों तथा वचनों के अनुसार ही विसर्ग संधि का प्रयोग किया जाता है। अतः ये भी कह सकते हैं कि विशेष रूप से पुल्लिंग शब्द में भी विसर्ग संधि का ही प्रयोग होता है। लेकिन ये भी आवश्यक नही की प्रत्येक पुल्लिंग शब्द या वाक्य में विसर्ग संधि का प्रयोग ही हो। विसर्ग संधि के प्रयोग के विषय में कुछ नियम भी होतें हैं।

विसर्ग संधि की परिभाषा

विसर्ग के बाद स्वर या व्यंजन वर्ण के आने पर विसर्ग मे जो विकार उत्पन होता है, उससे ही विसर्ग संधि कहते है।

विसर्ग संधि के कुछ उदारण

(1) तप : + वन = तपोवन

(2) दु: + कर = दुष्कर

(3) रजः + कण = रजःकण

उम्मीद करती हूँ की आज आपको मेरे द्वारा लिखा गया ये आर्टिकल आपको जरूर पसंद आया होगा। अगर इस आर्टिकल में सामान्य तौर पर किसी भी प्रकार की कोई भी गलती हुई हो तो माफ़ी चहता हूँ। हिंदी की न्यूज़ के पेज की तरफ से पूरी टीम आपका दिल से धन्यवाद और आभार को व्यक्त करती है। ये आर्टिकल आपको कैसा लगा है, कमेंट करे।  

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